सेहत-
कोलेस्ट्रॉल-
इसे हमारी शरीर में पायी जाने वाली चिकनाई कह सकते हैं । यह मोम के जैसा चर्बी युक्त पदार्थ होता है, और खासतौर पर लिवर में बनता है।
हम जो भी खाते है, वह उच्च कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, इसलिए सेहतमंद आहार खाने को कहा जाता है।
केवल खाने से ही कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता खाने का
कोलेस्ट्रॉल पर ५ फीसदी ही असर रहता है।इसके अलावा जेनेटिक डिसऑर्डर के चलते भी ब्लड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है,
डायबिटीज़ और ब्लड प्रेसर की तरह ये भी एक मेटाबोलिक बीमारी है। जिसे हम ख़त्म नहीं कर सकते।
लेकिन सही तरह से खान पान और डॉक्टर द्वारा सुझाई गयी दवाओं से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल से क्या होता है ?
कोलेस्ट्रॉल बेहद महत्वपूर्ण इसलिए है,
क्योंकि यह शरीर को सहीं काम करने में मदद करता है। यदि शरीर में जरूरत से ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल होगा तो
यह धमनियों को संकरा कर देगा यह धमनियों में
ज़माने लगता है , इस कारण से रक्त की आवाजाही की जगह कम हो जाती है।
जिसके चलते दिल का दौरा या पक्षाघात हो सकता है कोलेस्ट्रोल या अन्य फैट्स को लिपिड्स कहा जाता है ।
शरीर में कई तरह के लिपिड्स रहते हैं,प्रत्येक का कार्य अलग-अलग है-
१) हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, (एचडीएल)
२) लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, (एल डी एल)
३) ट्राइग्लीसराइड
हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, (एचडीएल)-
इसे ही अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, अच्छा इसलिए क्योंकि यह ख़राब कोलेस्ट्रॉल को बहार कर देता है ।
(ख़राब कोलेस्ट्रॉल यानि धमनियों पर जमा हुआ )
जो की कई बिमारियों को जन्म देता है,एचडीएल से दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है।
२) लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एल डी एल)-इस कोलेस्ट्रॉल को ख़राब कोलेस्ट्रॉल माना जाता है,
यह दिल की बिमारियों का प्रमुख कारण माना
जाता है।
३) ट्राइग्लीसराइड्स - यह शरीर में मौजूद बेहद चिकनाई वाला कोलेस्ट्रॉल
है ये शरीर में ऊर्जा के रूप में संरक्षित रहते है,हाई ट्राइग्लीसराइड्स के कारण बीमारिया हो सकती है,
कोलेस्ट्रॉल शरीर की प्रत्येक कोशिका में रहता है ।
और यह प्राकृतिक तरह से कार्य करते है, यह शरीर में तो बनता है ही साथ ही
आहार के माध्यम से भी यह शरीर में प्रवेश करता है। कोलेस्ट्रॉल ऑयल बेस्ड होता है ।
इस कारण से वह जल आधारित रक्त में आसानी से घुल नहीं पाता ।
इसी कारण से यह लिपोप्रोटीन के माध्यम से शरीर में रक्त के जरिये रहता है ।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल के वाहक दो लिपोप्रोटीन रहते है।
एक (एचडीएल) और दूसरा (एल डी एल)
महिलाओं में समस्या- एन्डोक्राइन सोसईटीस जर्नल ऑफ़ क्लीनिकल
एन्डोक्रिनोलाजी एंड मेटाबॉलिज्म के मुताबिक इन सबके अतिरिक्त
कोलेस्ट्रोल ज्यादा होने के कारण प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है
जिन महिलाओं का कोलेस्ट्रोल अधिक होता है उनको गर्भधारण में अधिक समय
लग जाता है ऐसा नहीं है की ख़राब कोलेस्ट्रोल को अच्छा नहीं किया जा सकता
सहीं तरह के खान-पान और व्यायाम खासतौर पर तेज कदम चलने से ख़राब से
ख़राब कोलेस्ट्रोल को अच्छे कोलेस्ट्रोल में तब्दील कर सकते हैं
हाईकोलेस्ट्रोल के कारण-इसे चिकित्सा की भाषा में हाइपरकोलेस्ट्रलेमिया
या हाइपरलिपिडेमिया भी कहा जाता है दिल के दौरे के लिए यह गंभीर संकेत
रहता है
इसकी वज़ह से धामनिया सक्रिय होती है तो उसे ऐथेरेस्क्लोसिस कहते हैं यह
एक तरह से धमनी में मैल की
तरह जमी रहती है और इससे खून का प्रवाह सुचारू नहीं रह पाता है आहार
जैसे मांसाहार,दूध के बने उत्पाद, अंडा आदि कोलेस्ट्रॉल के प्रमुख
स्रोत मने जाते हैं फिर भी हाइपरलिपिडेमिया का प्राथमिक कारण तो जेनेटिक ही है
घर में किसी को यह तकलीफ है तो जींस के द्वारा यह अन्य सदस्य को भी
हो सकती है
दूसरी बीमारियां भी- कोलेस्ट्रॉल के कारण केवल ह्रदय रोग ही नहीं होता
इसके कारण लिवर या किडनी की बीमारी महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवेर्य् सिंड्रोम थाइराइड का ठीक काम नहीं करना और महिलाओं के अनेक हार्मोन्स प्रभावित होने की आशंका रहती है